hindisamay head


अ+ अ-

कविता

रोशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी


रोशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम
दहका हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम

हैरत गुरूर-ए-हुस्न से शोख़ी से इज़तराब
दिल ने भी तेरे सीख लिए हैं चलन तमाम

अल्लाह हुस्न-ए-यार की ख़ूबी के ख़ुद-ब-ख़ुद
रंगीनियों में डूब गया पैरहन तमाम

देखो तो हुस्न-ए-यार की जादू निगाहियाँ
बेहोश इक नज़र में हुई अंजुमन तमाम


End Text   End Text    End Text