कविता
दरिया रेत की वाज़दा ख़ान
काँटों से छिलती रेजा रेजा होती वो अपने दरिया तक पहुँची दरिया ने उदासीनता अख्तियार कर ली।
हिंदी समय में वाज़दा ख़ान की रचनाएँ