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कविता

उजाड़
प्रदीप जिलवाने


उजाड़ का अपना आकर्षण होता है
बस इसे कोई देख नहीं पाता


क्योंकि
एक चिड़िया का होना भी
उजाड़ को उजाड़ नहीं रहने देता

 


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हिंदी समय में प्रदीप जिलवाने की रचनाएँ