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आकाश से गोलियों की बौछार की तरह
तालुओं को जला रही है वोदका
आँखों से टपकते हैं तारे जैसे गिर रहे हों बादलों के बीच से
और बादलों की गड़गड़ाहट
माँ की आवाज की तरह गूँजती हैं हमारे बीच।
पिआनों पर दहाड़ रही हैं पोलिश औरत
पीने के दौर का यह चौथा दिन है
पर चौथा दिन ही क्यों?
युद्ध के हर प्यारे वर्ष के नाम पर
हम रात-दिन पकड़े होते हैं झाग भरे गिलास
कोई सुस्ती नहीं पीने के मामले में।
हम तो पी रहे हैं। और जर्मन -
उन्हें चुकाने दो कीमत,
जो कुछ ध्वस्त हुआ उसे बनाने दो,
बमों ने जो उजाड़ा उसे फिर से बसाने दो!
चौथे दिन बिना अंतराल के
हम पी रहे हैं उनके नाम पर।
हम पी रहे हैं उन औरतों के नाम पर
जो कानून के मुताबिक हमारी पत्नियाँ हैं
बैठी हैं जो पुराने फौजी कोट से बने स्कर्ट पहने।
हम उन्हें पहनायेंगे कपड़े और जूते
और लगा देंगे आग पूरी दुनिया को
बुर्जुआ की इच्छाओं के विरुद्ध
पत्नी को गरमाहट मिल सके आग के पास
अपनी तकलीफदेह जीत के नाम
हम पीते हैं सुबह से शाम तक
पीते हैं सारी रात, सुबह होने तक।
इंतजार करती हैं पत्नियाँ
जिस तरह इंतजार किया उन्होंने युद्ध के दिनों में
हम कष्ट में हैं पर वे कौन-सी सुखी हैं
कहो, पूरी पी ली है न?
आओ, चलें अब सोने…
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