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कविता

अब्दुल हमीद

जसबीर चावला


पिछले दंगे में जो शख्स मरा
अब्दुल हमीद ही था
उसके पिछले
और उसके पिछले में भी
अब्दुल हमीद ही था
अब के जो मरा
अब्दुल हमीद ही था
खुदा की मार मुझ पर
क्या बयाँ करूँ
अगली बार मरेगा जो शख्स
तो लिखा जायेगा
अब्दुल हमीद ही था
ओर मरेगा उस अब्दुल हमीद के बाद वाला
कहेंगे
अब्दुल हमीद ही था

*

अब्दुल हमीद
को तो मरना है बार बार
जब तक है अब्दुल हमीद
और उसका नाम

*

बदलेगा जब नाम
फिर हम कह सकेंगे
शान से
बदला है जिस शख्स ने
नाम / ईमान अपना
दरअसल वह कोई और नहीं
हमारा
अब्दुल हमीद ही था

 


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