सुने को अनसुना किया अनसुने को सुन लिया * तुमने क्या कहा क्या सुन लिया क्या मैंने कहा क्या सुन लिया * कुछ उधेड़ दिया कुछ बुन दिया उधेड़-बुन में जीवन बीत गया
हिंदी समय में जसबीर चावला की रचनाएँ