hindisamay head


अ+ अ-

कविता

डरना मत

रेखा चमोली


मेरे बच्चों !
तुम
डर मत जाना
सच कहने से
मैं हमेशा
नहीं रह सकती
तुम्हारे पास
हर बात बताने, कहने को
घबराना मत अँधेरे से
अपनी आँखें फैला लेना
जरा सी आहट होने पर
चौकन्ना हो जाना
तुम्हें दृढ़ और मजबूत बनना है
पर अपने भीतर बचाए रखना
वो ही कोमलता
जो एक बीज
छुपाए रखता है फूल होने तक
मैं कभी-कभी तुम्हारे साथ कठोर हो जाती हूँ
तुम्हारे छोटे-छोटे दर्दों को अनदेखा करती हूँ
तो सिर्फ इसलिए
कि जब तुम निकलोगे
घर से बाहर
मेरे बिना
तो ये दुनिया
जो हमेशा से
बँटी रही है
दो भागों में
       कमजोर और ताकतवर
       स्त्री और पुरूष
       गरीब और अमीर
       बुरी और भली
       दयालु और क्रूर
तुम्हें आजमाएगी
तुम उस समय भी
सबसे बुरे समय में भी
डरना मत
सच कहने से।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में रेखा चमोली की रचनाएँ