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राधा कृष्ण की पूजा
करने वाले देश में
जब फूटती हैं
कोंपले मन में
आता है नव बसंत
महकता है जीवन
दमकते हैं चेहरे
तो अचानक
उठती है लहरें
जाति, धर्म, उम्र, मार्यादा
प्रतिष्ठा और खोखले आदर्शों की
और सूख जाती है
कोपलें
आ जाता है पतझड़
रह जाते हैं
मुरझाए
लुटे पिटे चेहरे।
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