दाल में नमक जितनी घर में आँगन जितनी सन्नाटे में सरगम जैसी सुंदरता में विनम्रता जैसी मुझे तुम्हारी थोड़ी सी फुर्सत चाहिए।
हिंदी समय में रेखा चमोली की रचनाएँ