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कविता

आई लव यू सूपनखा

विमल चंद्र पांडेय


इतिहास की साजिश हो या कलम की लापरवाही
सच यही है कि मुझ जैसे अदने प्रेमी को तुम्हारा ठीक-ठीक नाम तक मालूम नहीं
तुम सूपनखा हो, शूर्पणखा या शूपनखा
मगर तुम्हारी हिम्मत की मिसालें देने के लिए भाषा में किसी सौंदर्य की कतई जरूरत नहीं

तुम्हारे प्रणय निवेदन के साहस का मुरीद है वह क्षण
जब तुमने अपने दिल की बात कह दी थी
यह जानते हुए भी कि इसके माने जाने की संभावना बहुत कम है
तुम्हारी जरूरत आज भी पड़ती है
कहीं कोई साँवली लड़की मुट्ठी में निचोड़ कर अपना दिल
आइब्रो बनवाने चली जाती है घर के पास वाले ब्यूटी पार्लर
भाभी से पहनना सीखती है साड़ी
बैठक में चाय ले जाते हुए जिनके पाँव काँपते हैं
साड़ियाँ पहनाती भाभियों के हाथ भी ठिठकते हैं कुछ याद करके
मगर वह अगले ही पल मुस्करा कर कहती हैं, 'तेरे तो पाँव ही आज नशे में उठ रहे हैं बिन्नो' और ठठा कर हँस देती हैं

तुम पर नाज करता है वह भविष्य
जिसका बीज सबसे उर्वर हो कर
हवा में से जादू के जोर से प्रेम पैदा करेगा
तुम्हारी बलैयाँ लेती है वह मिट्टी जहाँ तुमने प्रेम बोया था
तुम्हें मिसाल मानती हैं वह लड़कियाँ
जिनके घरों में कई-कई राम हैं
जो अब उपहास भी नहीं करते उनकी ऐसी भावनाओं का
वहाँ अब सीधे मामला जड़ से खत्म कर देने की होड़ मची है

बहुत सारे छोटे शहरों के बहुत सारे छोटे घरों के बहुत सारी छोटी खिड़कियों से
बाहर की सड़क पर झाँकती हैं बहुत सारी छोटी लड़कियाँ
जो सूपनखा बनना चाहती हैं और कह देना चाहती हैं अपने मन की बात उस लड़के से
जो सड़क के उस पार की पान की दुकान पर दिन भर खड़ा
टकटकी लगाए रखता है एक खिड़की की तरफ

बात उनके चुनाव की कतई नहीं
जो सही भी हो सकता है और गलत भी
बात तो अपने दिल की बात सुनने और उसे मानने का साहस करने में है न सूपनखा
तुम दे दो उन्हें अपने जैसा साहस
सभी राम जैसे अहंकारी और लक्ष्मण जैसे क्रूर नहीं होते

तुम्हें प्रेम करना आता था सूपनखा और उससे भी अधिक उसका इजहार करना
तुम कौन थी और किससे संबंध रखती थी
यह सवाल आज भी मायने तो रखता ही है
तुम्हारी अपनी एक मर्जी थी सूपनखा और तुम्हें इस पर चलने का साहस था
चीजें आज भी नहीं बदलीं जान
तुम्हारे हिम्मत की एकाध बूँद दिखाने वाली लड़कियों को आज भी राक्षसी कहा जाता है
और नाक-कान काटना तो बहुत छोटी सी सजा है

तुम्हारा प्रणय निवेदन आज भी गूँजता है मेरे कानों में
चीजें बदल गईं हैं लेकिन हिम्मत को आज भी हिम्मत ही कहते हैं
और जीने के लिए दिल का धड़कना उतना ही जरूरी है
मैं अपने जीने की सूरत चुनता हूँ
तुमसे अपनी बात कहता हूँ
आई लव यू सूपनखा !

 


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