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					जब आप हक देने की बात खैरात की तरह करते हैंसमझ लीजिए आप हक न देने से भी बड़ा अपराध कर रहे हैं
 थोपे गए एहसान छीन लेते हैं बदन की गरमी और कमर का सीधापन
 
 पत्नी को पिछले दो महीनों में एक बार भी न डाँटने का एहसान जताकर
 आप अनजाने में खो चुके हैं अगले दो सालों तक आई लव यू कहने का हक
 
 मेरे आसपास कुछ लोगों को इस बात का घमंड है
 कि वे बहुत डाउन टु अर्थ हैं और उन्हें किसी बात का घमंड नहीं
 ये उसी चुटकुले की तरह है जिसमें एक आदमी कहता था
 'कौन चूतिया कहता है कि मैं गालियाँ बहुत देता हूँ'
 
 हाँफ रही क्रांतियों का दिलासा मुझे मत दीजिए
 इतिहास से मिली सारी उत्तेजना और उत्साह को
 हर रोज लील रहा है हमारा वर्तमान जहाँ मानवता का स्थगन प्रस्ताव पास हो रहा है
 आप शौक से करें हस्ताक्षर पूरी बेशर्मी से
 मेरा उससे बहिष्कार जानें
 
 मैं अपने परिचय पत्र में अपना जीवन लपेट कर आपके हवाले करता हूँ
 उसे आप मसालेदार चिकन बनाने में प्रयोग करें या फिर कोई फ्लाइओवर
 बस मेरे चेहरे को इतना सपाट न कर डालें
 कि मैं अपनी शिनाख्त ही न कर पाऊँ
 
 खरीद लें भले आप मयूर विहार या नवी मुंबई में 2 बेडरुम फ्लैट
 यकीन मानिए ये आपके जीवन की उपलब्धि नहीं है
 ये तो उन मजबूत हाथों की उपलब्धि है
 जिन्होंने खुद बिना घर होते हुए भी आपके लिए बनाई ऊँची इमारतें
 
 कुल, जाति, धर्मों और ऊँचे कहे जाने वाले घरानों से अपने जुड़े होने की बात न बताएँ तो बेहतर
 मैं यहाँ इत्तेफाकों के बारे में बात करने नहीं बैठा
 
					
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					अपने जाने से पहलेतुमने जब आखिरी चुंबन की
 जीवन भर रह जाने वाली मीठी याद मेरे होंठों पर रखी थी
 तभी देनी चाहिए थी ये चेतावनी
 कि फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा न करें
 मैं चीजों को उनकी आयु से नहीं उनकी खुशबू से पहचानता था
 ये मेरी सबसे बड़ी गलती थी
 
 बाँहों में भरकर जब आप नाप रहे थे पेड़ की मोटाई
 वह जागता रहा था रात भर कि आप उसे प्यार करते हैं
 उसे नहीं पता था कि काटने से पहले ऐसे ही नापा जाता है वजूद
 कीमत का अंदाजा आपके मांस से होगा या आपके चमड़े से
 
 जब भी घर से निकला अपनी पकी नींद छोड़ कर निकला
 कच्ची नींदों में घर के सपने देखे
 कभी गुरुवार शनिवार को न दाढ़ी बनवाई न नाखून काटे
 माँ से दूर आने के बाद माँ के और करीब हुआ हर बार
 
 मैं हर महफिल से अनुपस्थित, हर समारोह में गायब
 आप हमेशा पूछते हैं मुझसे एक ही सवाल
 तो सुनिए, मैं अक्सर इसलिए नहीं बोलता
 कि कहीं आप उड़ न जाएँ
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