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कविता

अच्छे लोगों ने उठा रखी है पृथ्वी सिर पर

विमल चंद्र पांडेय


अगर आपको लगता है
शेषनाग ने अपने फन पर उठा रखा है पृथ्वी को
तो माफ कीजिए सरकार !
आप फिर से एक बार
अपने विचार पर करें
गंभीरता से विचार

अच्छे लोग अब भी मौजूद हैं
जिनकी वजह से चल रही है दुनिया
बच रही हैं जानें, पक रही है रोटियाँ
और पल रहे हैं शब्द

आखिरी बार कब कहा था आपने किसी के लिए 'वह बहुत अच्छा इनसान है'
यह सोचने के लिए नहीं कहा मैंने आपको
बात सिर्फ छोटी सी
हो सकता है गलती आपकी इतनी ही हो
कि न पहचानते हों आप अच्छे आदमियों की जात
आपको लगता हो कि अच्छा आदमी दूर से ही अपने गोरे रंग के कारण पहचाना जाएगा
या उसके होंगे चार हाथ जिसमें चक्र और त्रिशूल थामा होगा उसने
वाकई, टीवी और धार्मिक तस्वीरों ने हिला दी है आपकी कल्पनाशक्ति !

एक कमरा चाहिए यार ! ऐसा आपने बहुतों से कहा और सबने आपने कहा 'हाँ मिल जाएगा जब चाहो'
जब यह कह कर वहाँ से हटते ही सब भूल गए ये बात
अच्छे लोगों ने बिना कोई वादा किए वाकई वक्त निकाला आपके लिए कमरा खोजने के वास्ते
आप इस बात को नहीं समझ सकते क्योंकि कमरा नहीं मिला तो फिर मेहनत की क्या कीमत आपके लिए
उन्होंने आपकी किताबें लेकर समय पर वापसी कीं
और आपके एक ही बार कहने पर लौटाया लिया हुआ उधार

अच्छे लोगों ने आपको अनजान शहर में बताए कठिन दिखने वाले पते
समझाए दाहिने बाएँ मोड़ वाले रास्तों से होकर मंजिल पर पहुँचने के रास्ते
अच्छे लोग आपके घिसे-पिटे खराब चुटकुलों पर भी मुस्कराए
जब आपके सारे दोस्त बोर होकर कह रहे थे 'सुना है कई बार'
अच्छे लोगों ने किसी रिश्ते को लेकर कभी बड़ी-बड़ी बातें नहीं कीं
लेकिन खड़े रहे जरूरत में हर वक्त

उन्हें अक्सर आपने अपनी कुशाग्र बुद्धि और गहरी समझ के आगे मन ही मन औसत इनसान माना
आपने खूब किताबें पढ़ीं और वजनी शब्दों से सजाया अपना व्यक्तित्व
उन लोगों ने आपके संभ्रांत शब्दों को नमन किया और आप खुश हुए
लेकिन आपके बुरे समय में जब एक सीमा के बाद किताबें भी न सँभाल पाई आपका दुख

वे आए और बिना कुछ कहे आपके कंधों पर हाथ रखा
अपनी हथेलियों में थाम ली आपकी हथेलियाँ और दबाया धीरे से
आप मौन की शक्ति से परिचित हुए
और उनकी भी
वे रोज नहीं मिले आपसे न ही फोन करके हालचाल लिया
लेकिन किसी कठिन सफर में भीड़ भरी रेलगाड़ी में जब आप रास्ते में खड़े थे
वे सरके और थोड़ी सी जगह बना दी आपके लिए
अपनी पूरियाँ खाते वक्त आपसे भी पूछा खाने के लिए
लेकिन जहरखुरानों के डर ने आपकी इनसान पहचानने की क्षमता समाप्त कर दी थी
आप बाथरूम गए तो आपके सामान की देखभाल की
एक बार माँगने पर आपको अपनी पत्रिका और अखबार देकर निश्चिंत सो गए
आपको आश्चर्य में छोड़कर

उनकी जिंदगी हो सकता है आपको पसंद न आए
उनमें से ज्यादातर घर से दफ्तर और दफ्तर से सीधा घर आए
कोई रोमांच न उनकी जिंदगी में था
न वे लाने के बारे में सोचते थे
जब आप दुनिया जीत लेने के बड़े सपने देख रहे थे
बहुत संभव है वे अगले दिन गेहूँ पिसाने के बारे में सोच रहे हों

मैं जानता था आप कहेंगे कि अच्छे इनसान हर जगह अच्छे नहीं होते
लेकिन मैं कहूँगा कि यह समय बहस का नहीं है
धीरे-धीरे अच्छाई पर से उठ रहा है उनका विश्वास
उन्हें लगता है अच्छा होना मूर्ख होने का पर्यायवाची होने लगा है
भरोसे पर दी गई उनकी मामूली चीजें जो लोगों ने लेकर नहीं लौटाईं
जैसे बैंक या रेलवे रिजर्वेशन का फॉर्म भरते समय उनकी कलम या फिर रेलगाड़ी में उनका अखबार
उसने उनके भरोसे को हल्का सा हिला दिया है

आप तो जानते ही हैं भरोसा भरी हुई ठंडी बीयर की बोतल की तरह है
थोड़ा भी हिला तो उबल कर बाहर आएगा ही

सँभालिए उन्हें
उन्हें उनकी कीमत के बारे में बताइए
उन्हें बताइए कि वे नहीं रहे तो पृथ्वी एक ओर झुक जाएगी
यह झुकी तो आपके बच्चे का दूध जो मेज पर रखा है
वह शर्तिया छलकेगा !

 


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