हरदोई जेल
(26 मई 1930 से 15 मार्च 1931 के मध्य का कोई समय : संपा.)
प्यारी कृष्णा
प्रसन्न रहो।
अपनी माता से कह देना कि वह तनिक भी न घबरायें। मैं बहुत अच्छी तरह हूँ। तबीयत अच्छी है। मेरी वह चिंता न करें। ईश्वर की कृपा से मैं सकुशल घर लौटूँगा। इस समय उन पर जो विपत्ति है, देश के हजारों भले परिवारों पर वह विपत्ति है। हम लोग धर्म का काम कर रहे हैं। हम सबको यह संतोष होना चाहिए कि हमें जो कष्ट झेलना पड़ रहा है, वह किसी पापकर्म के लिए नहीं है। हमारे कष्टों से अवश्य ही परमपिता हमारा कल्याण करेंगे। इन कष्टों की समाप्ति के पश्चात् अच्छा समय आयेगा। ईश्वर और धर्म की सत्ता पर विश्वास रखो।
सस्नेह
गणेशशंकर विद्यार्थी