कविता
विरासत मस्सेर येनलिए अनुवाद - रति सक्सेना
जब में ठिठुर रही हूँ कामना करती हूँ कि मैंने बाकी बची उदासियों को भी मिला लिया होता
हिंदी समय में मस्सेर येनलिए की रचनाएँ