hindisamay head


अ+ अ-

कविता

अत्याचारियों के स्मारकों पर धर्मलेख

संजय चतुर्वेदी


उन्होंने कोई अच्छे काम नहीं किए थे जिंदगी में
यह उन्हें पता था
और उन्हें भी
जिन्होंने किया उनका अंतिम संस्कार
उन्हें पता था
शायद इनसान उन्हें कभी माफ न कर सकें
पर उन्हें उम्मीद थी
इबारतें उन्हें माफ कर देंगी
और वे ऐसा पहले भी करती रही हैं।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ