hindisamay head


अ+ अ-

कविता

सपनों के मुताबिक

संजय चतुर्वेदी


हम नहीं चाहेंगे
कि सौ साल बाद
जब हम खोलें तुम्हारी किताब
तो निकले उसमें से
कोई सूखा हुआ फूल
कोई मरी हुई तितली
हम चाहेंगे
दुनिया हो तुम्हारे सपनों के मुताबिक।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ