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कविता

तिनके गिर रहे हैं मेज पर

संजय चतुर्वेदी


रुके हुए पंखे पर कोई घोंसला बना रहा है

हड़बड़ा के कोई स्विच दबाएगा
गिर पड़ेंगी कुछ चीजें जमीन पर

कोई अंडे खरीद कर लाएगा बाजार से
और सारे कमरे में फैल जाएगी
आमलेट की खुशबू

 


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हिंदी समय में संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ