पवित्र नगर को जाते हुए राह में मैं एक तीर्थयात्री से मिला।
"क्या यही रास्ता पवित्र नगर को जाता है?" मैंने उससे पूछा।
"मेरे पीछे-पीछे चले आओ। एक दिन और एक रात में तुम पवित्र नगर में पहुँच जाओगे।" उसने कहा।
मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा। कई दिन और कई रात हम चलते रहे। पवित्र नगर दिखाई नहीं दिया।
और ताज्जुब की बात यह रही कि मुझे गुमराह करने वाला शख्स इस बात के लिए मुझ पर ही गुस्सा उतारता रहा।