हममें से कुछ लोग कागज की और कुछ लोग स्याही की तरह हैं।
क्योंकि हममें से कुछ में अगर कालिमा न होती तो दूसरे कुछ लोग गूँगे हो गए होते।
और कुछ में अगर धवलता न होती तो दूसरे कुछ लोग अन्धे हो गये होते।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ