लोककथा
भूखा आदमी खलील जिब्रान अनुवाद - बलराम अग्रवाल
एक बार एक आदमी मेरी मेज पर आ बैठा। उसने मेरी रोटियाँ खा लीं और वाइन को पीकर मुझपर हँसता हुआ चला गया।
रोटी और वाइन की तलाश में अगली बार वह फिर आया।
मैंने लात मारकर उसे भगा दिया।
उस दिन फरिश्ता मुझ पर हँसा।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ