लोककथा
अन्तर खलील जिब्रान अनुवाद - बलराम अग्रवाल
उन्होंने मुझे पागल करार दिया क्योंकि मैंने सोने के बदले अपना समय उन्हें नहीं बेचा था।
और मैंने उन्हें पागल करार दिया क्योंकि वे सोचते थे कि मेरा समय बिकाऊ है।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ