शुक्र मनाओ कि तुम्हें अपने बाप के नाम या अपने चाचा की दौलत की बदौलत नहीं जाना जाता।
लेकिन इस से भी बड़ी बात यह है कि कोई दूसरा भी तुम्हारे नाम या तुम्हारी दौलत की बदौलत न जाना जाए।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ