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लोककथा

असहमति

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


प्रत्येक सौ साल में एक बार नजारथ का जीसस और क्रिश्चियनों का जीसस लेबनान की पहाड़ियों के बीच एक चमन में मिलते हैं।

वहाँ वे लम्बे समय तक बातें करते हैं।

और नजारथ का जीसस क्रिश्चियनों के जीसस से हर बार यह कहते हुए विदा लेता है - "मेरे दोस्त! मुझे लगता है कि हममें कभी भी, कभी भी सहमति नहीं बनेगी।"


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हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ