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लोककथा

संवेदनहीन

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


जिनकी आत्मा सोई हुई है और शरीर लय से बाहर है, आत्मिक शान्ति और दैहिक सुख के बीच द्वंद्व उनके मस्तिष्क में नहीं होता।


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हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ