लोककथा
सतह और तलहटी खलील जिब्रान अनुवाद - बलराम अग्रवाल
ईश्वर ने मुझ पत्थर को इस आश्चर्यजनक झील में फेंका। मैंने सतह पर अनगिनत घेरे बनाकर इसमें उथल-पुथल मचा दी।
लेकिन, जब तलहटी में पहुँचा, मैं बिल्कुल शांत हो गया।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ