समय को हम अनगिनत सूर्यों की गति की गणना करके नापते हैं। और वे उसे जेब में रखी एक छोटी-सी मशीन से।
अब तुम्ही बताओ कि हम उसी स्थान पर उसी समय दोबारा कैसे मिल सकते हैं?
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ