लोककथा
अंतरिक्ष खलील जिब्रान अनुवाद - बलराम अग्रवाल
उसके लिए, जो आकाशगंगा की खिड़की से नीचे झाँकता है, अंतरिक्ष धरती और आकाश के बीच की जगह नहीं है।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ