लोककथा
शाश्वत सत्य खलील जिब्रान अनुवाद - बलराम अग्रवाल
जब दो औरतें बात करती हैं, वे कुछ नहीं कहतीं।
जब एक औरत बोलती है, वह जिन्दगी के सारे रहस्योंको खोल देती है।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ