मौसम-मुर्ग ने हवा से कहा, "कितना थका देने वाली और एकरस हो तुम। क्या तुम किसी और तरह नहीं बह सकती? तुम मेरी ईश-प्रदत्त स्थिरता को भंग करती हो।"
हवा ने कुछ नहीं कहा। वायुमंडल में वह केवल हँस दी।
हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ