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लोककथा

पश्चात्ताप

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


अमावस की एक रात एक आदमी अपने पड़ोसी के खेत में जा घुसा। वहाँ से उसने सबसे बड़े एक तरबूज को तोड़ा और घर ले आया।

उसने उसे काटा। पता लगा कि वह अभी कच्चा ही था।

उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।

उसकी अन्तरात्मा ग्लानि से भर उठी। हृदय पश्चात्ताप से तड़प उठा।

तरबूज की अपरिहार्य चोरी ने उसे जमीन पर ला पटका।


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