एक जो बहुत अच्छे लगे उनसे आँख बचा के चलती रही जो बुरे लगे उनसे आँख में आँख डाल लड़ती रही कितना दूँ मैं खुद को तुम्हें तुम्हारे प्यार की कसौटियाँ बहुत कड़ी हैं और जीवन में मर्यादाएँ रखने की कीमतें मेरे जीवन से भी बड़ी हैं
हिंदी समय में कलावंती की रचनाएँ