साँझ की रागिनी रात्रि का सौंदर्य अर्द्धरात्रि की मनोहारी निस्तब्धता मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना है बस भोर को आहिस्ते से कुछ कहना है उसे मेरे पास तक आने तो दो।
हिंदी समय में कलावंती की रचनाएँ