अस्तित्व की खोज और सार्थकता के नाम पर, हम आ पहुँचे शाब्दिक प्रपंचों के चक्रव्यूह में आज का अर्जुन, भटक गया है पृष्ठजाल में आज का कृष्ण स्वयं दिगभ्रमित है। हम भूल जाते हैं कि कुरुक्षेत्र के बाद ही लिखा गया था महाभारत।
हिंदी समय में कलावंती की रचनाएँ