किसी खूबसूरत लम्हे में कोई यादगार चाह पता नहीं क्यों इतनी तीव्रता से जन्म लेती है और अपनी पहचानी सीमाएँ बहुत धूमिल पड़ने लगती हैं।
हिंदी समय में कलावंती की रचनाएँ