गौरैया भटकती है, तलाश में आश्रय की। पुराने पीपल पर कौओं ने बसेरा कर लिया है नए पर गिद्धों ने वह कहाँ जाए कहाँ अपना घोसला बनाए वह मुझसे पूछती है घर कोई और विकल्प ढूँढ़ लो गौरैया लोग अब घरों में बिल्लियाँ पालने लगे हैं
हिंदी समय में कलावंती की रचनाएँ