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कविता

जीवट

कलावंती


क्या तुमने कभी देखा है
ऐसी लाश को जो
अपनी अर्थी

अपने ही कंधो पर लेकर चलती है
अपने स्व की हत्या के बाद भी
हम जिंदा हैं।

कितना जीवट जीव है मनुष्य।

 


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हिंदी समय में कलावंती की रचनाएँ