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कविता

चिड़िया

कलावंती


इक छोटी चिड़िया ने
अपने नन्हें पंख फड़फड़ाकर कहा -
मैं इक कविता लिखूँगी,
जो नया सूरज लाएगी,
तुम उस रोशनी को
अपने अंतस के
दीपदान में भर लेना
ताकि उजास कभी फीकी न पड़े
हाँ सच मैं बुनूँगी
आशा के छंद और छेड़ूँगी आस्था के राग
तुम मोरपंखी सपने सजा लेना
अपनी पलकों पर
- और कोर्इ ठठाकर हंस पड़ा
छोटी चिड़िया
अपनी चोंच में जिंदगी समेटने का दावा करती हो!


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हिंदी समय में कलावंती की रचनाएँ