मित्रों से बात करना अच्छा है और यदि मुँह से बात ही न निकले तो उतनी देर साथ रहना अच्छा है जितनी देर मित्रों को यह चुप्पी न खले।
हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ