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कविता

अस्वस्थ होने पर

त्रिलोचन


मित्रों से बात करना अच्छा है
और यदि मुँह से बात ही न निकले तो
उतनी देर साथ रहना अच्छा है
जितनी देर मित्रों को
यह चुप्पी न खले।

 


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हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ