पहले पहल तुम्हें जब मैंने देखा सोचा था इससे पहले ही सबसे पहले क्यों न तुम्हीं को देखा अब तक दृष्टि खोजती क्या थी कौन रूप क्या रंग देखने को उड़ती थी ज्योति-पंख पर तुम्ही बताओ मेरे सुंदर अहे चराचर सुंदरता की सीमा रेखा
हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ