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कविता
क्रम
त्रिलोचन
पीछे उषाएँ हैं
और आगे संध्याएँ पंक्तिबद्ध
बीच में मैं मेरा आकाश
शीर्ष पर जाएँ
हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ
कहानियाँ
सोलह आने
कविताएँ
अंतर
अधिभूत
अनोखी यह परिचित मुस्कान
अभिनंदन
अस्वस्थ होने पर
आकांक्षा
आत्मालोचन
आँधी
आरर-डाल
आलोचक
आँसू बाँधे है मैंने गठरिया में
उषा आ रही है
उस जनपद का कवि हूँ
एक मधु मुसकान से लिख दो
एक विरोधाभास त्रिलोचन है
कठिन यात्रा
कब कटी है आँसुओं से राह जीवन की
कुंभकांड में पुलिस
क्रम
कर्म की भाषा
कला के अभ्यासी
कुहरे में भोपाल
कातिक का पयान
काशी का जुलहा
कोई दिन था जबकि हमको भी बहुत कुछ याद था
खो गई थी गूँज
गद्य-वद्य कुछ लिखा करो
गान बन कर प्राण
ग़ालिब
गीतमयी हो तुम
घर वापसी
चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती
चाँदनी रात, नीरव तारे
चारों ओर घोर बाढ़ आई है
जीवन का एक लघु प्रसंग
जीवन स्मृति के पथ
जो है सो है
झापस
टूटा हृदय
तुम्हें जब मैंने देखा
तुम्हे सौंपता हूँ
तुलसी बाबा
दुखों की छाया
दीप जलाओ
न जाने हुई बात क्या
नगई महरा
नदी : कामधेनु
नागार्जुन
नीला आकाश कह सकता है
प्यार
पयोद और धरणी
प्रकाश के रंग
प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली है
प्रसन्न ताल
पवन शांत नहीं है
पश्यंती
पावन मंसूबा
पास
फेरू
फूल मुझे ला दे बेले के
फूल, तुम खिल कर झरोगे
बरवै
बरसाती ऊषा, तू जा
बादल घिर आए
बादलों में लग गई है आग दिन की
बिल्ली के बच्चे
भाषा की लहरें
मैं तुम्हें फिर फिर पुकारूँ
मैं तुम्हारा बन गया तो
मुझे बुलाता है पहाड़
मधुमालती
यह सुगंध मेरी है
याद रहेगा
राका आई
ललक
वसंत
विनिमय
विपर्याय
शरद का यह नीला आकाश
संध्या ने मेघों के कितने चित्र बनाए
स्नेह मेरे पास है
स्निग्ध श्याम घन की छाया है
स्वर
सारनाथ
सॉनेट का पथ
सो गया था दीप
हृदय की लिपि
हम साथी
हाथों के दिन आएँगे
शीर्ष पर जाएँ
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