hindisamay head


अ+ अ-

कविता

स्नेह मेरे पास है

त्रिलोचन


स्नेह मेरे पास है, लो स्नेह मुझसे लो

         चल अँधेरे में न जीवन दीप ठुकराओ
         साँस के संचित फलों को यों न बिखराओ
         पत्थरों से बंधु अपना सिर न टकराओ
मेघमेला विश्व है लो राग मुझसे लो

         यह मरुस्थल है, कहाँ जल है पथिक प्यासे
         दृष्टि-भ्रम है, मौन मृगजल है, थके तासे
         शक्ति खो मत दो भटक कर व्यर्थ आशा से
भूमि में जल है, उठो, लो शक्ति मुझसे लो

         तुम तिमिर-रंजित नयन से देख क्या पाए
         बंधु भी यमदूत बन कर आँख में आए
         कहो, कब तक रहोगे, उद्भ्रांत, अलगाए
प्राण का अवलंब लो विश्वास मुझ से लो

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ