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कविता

मधुमालती

त्रिलोचन


झिझकती आँखों से
मैं ने तुम्हें परसा है
मधुमालती के फूल,
कहीं यह परस
तुम्हें खल न जाय

 


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हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ