hindisamay head


अ+ अ-

कहानी

साइबरेटी

अशोक कुमार


पिंजड़ा इतने दिन बंद रहा
कि एक चिड़िया पैदा हो गई उसमें

इतने दिन खामोश रही चिड़िया
पिंजड़ा खुला
खामोशी की जंग लगा

खामोशी इतनी देर तक रही कि
काले सींखचों के पीछे से
फूट पड़ी हँसी

अनुवाद : सोमदत्त

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में अशोक कुमार की रचनाएँ