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कविता

कनॉट प्लेस

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी


लोग ऐसे भाग रहे हैं
कि लगता है कुछ ही घंटों में
खाली हो जाएगा कनॉट प्लेस

सबको आशा है
कि सबको मिल जाएगी गाड़ी
सबको भय है
कि सबकी छूट जाएगी गाड़ी

सबके पास माल-असबाब है
वक्त नहीं है किसी के पास

किससे कहूँ
कि मेरे साथ चलो
सभी जानते हैं
कि अभी गिरने वाला है एटम बम
सभी जानते हैं
कि अभी या फिर कभी नहीं

मुझे कोई जल्दी नहीं है
खरामे-खरामे पकड़ ही लूँगा
अपनी आखिरी बस
और बस में मिल ही जाएँगे
लोग
जिन्हें कोई जल्दी नहीं है
मैं जानता हूँ इस खौफनाक क्षण में
बचने का रास्ता
मैं भागते लोगों को भी बताना चाहता हूँ
छिपने का रास्ता

अब इसका क्या करूँ
कि वे लोग अकेले-अकेले बच जाना चाहते हैं।

 


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