इसी में बोना है अमर बीज इसी में पाना है खोना है प्यार भवसागर है यह संतों का इसी में ढूँढ़ना है निकलने का द्वार।
हिंदी समय में विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की रचनाएँ