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लेख

किसान : अथ चंपारण आख्यान

अमित कुमार विश्वास


एक नदी मेरे आगे
बह रही है।

मैं देख रहा हूँ
उसका गुजरना।

मैं खुद गुजर रहा हूँ-
इस नदी के साथ।

हम दोनों
एक दूसरे से अलग
और साथ-साथ गुजर रहे हैं।

 


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