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कविता

नदी

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी


एक नदी मेरे आगे
बह रही है।

मैं देख रहा हूँ
उसका गुजरना।

मैं खुद गुजर रहा हूँ-
इस नदी के साथ।

हम दोनों
एक दूसरे से अलग
और साथ-साथ गुजर रहे हैं।

 


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हिंदी समय में विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की रचनाएँ