अपनी इच्छा से नहीं आया है वह न जाएगा अपनी इच्छा से और जो कुछ भी होगा यहाँ शायद उसकी इच्छा से नहीं होगा न कभी हुआ उसकी पीड़ा यही है कि वह सुख भी पाता है तो दूसरे की इच्छा से।
हिंदी समय में विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की रचनाएँ