hindisamay head


अ+ अ-

कविता

बुरे दिनों में

रविकांत


कोई अफसोस नहीं होगा
जब उम्र के आखिरी लम्हे में
पाऊँगा एक चीखती हुई भाषा
और उसमें एक हाँफती हुई इच्छा
कोई अफसोस नहीं होगा
मुझे पहले ही ज्ञात है
कथा का यह उपसंहार।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में रविकांत की रचनाएँ