कविता
झूठ - 9 दिव्या माथुर
अपने झूठ का ढिंढोरा हम खुद पीटते हैं जब बोलते हैं झूठ तो डंके की चोट पर सोचते हम से सच्चा कोई और नहीं
हिंदी समय में दिव्या माथुर की रचनाएँ