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उसकी सस्ती धोती में लिपट
मैंने न जाने
कितने हसीन सपने देखे हैं
उसके खुरदरे हाथ
मेरी शिकनें सँवार देते हैं
मेरे पड़ाव हैं
उसकी दमे से फूली साँसें
ठाँव हैं
कमज़ोर दो उसकी बाँहें
उसकी झुर्रियों में छिपी हैं
मेरी खुशियाँ
और बिवाइयों में
मेरा भविष्य। |
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